वन जागे वनवासी जागे के नारे हुये खामोश पर्यावरणविद् सर्वोदयी मुरारी लाल ने ऋषिकेश एम्स में ली अंतिम सांस
वन जागे वनवासी जागे के नारे हुये खामोश पर्यावरणविद् सर्वोदयी मुरारी लाल ने ऋषिकेश एम्स में ली अंतिम सांस
गोपेश्वर 12 अप्रैल (जनगणमन.लाईव ) प्रसिद्ध पर्यावरणविद सर्वोदयी नेता, चिपको आंदोलन में अग्रणीय भूमिका अदा करने वाले समाज के स्तंभ, वंचित शोषित पीड़ितों की निरंतर सेवा करने वाले समाज सेवी मुरारीलाल का शुक्रवार की तड़के ऋषिकेश एम्स में निधन हो गया।
चिपको आंदोलन के नेता एवं पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट समेत अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने श्री मुरारी लाल जी के निधन पर शोक जताया और उनके कार्यों को समाज को दिशा देने वाला बताया।
मुरारी लाल को अपने गांव में वृक्षविहीन बंजर भूमि को हरा भरा बनाने और गांव के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और उपयोग के अभिनव माडल तैयार करने के लिए पूरे देश में जाना जाता है।
मुरारी लाल का जन्म गोपेश्वर मुख्यालय के निकटस्थ गांव पपड़ियाणा में 10 अक्टूबर 1933 को पिता यशकयी छोटियालाल, माता सदरी देवी के घर में हुआ था। वे अपने पीछे पुत्र नरेंद्र भारती, बिहारीलाल, पुत्री गौरादेवी को छोड़ गए। उन्होंने 1970 की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पौधरोपण करवाया, जनपद चमोली में मद्य निषेध का प्रचार प्रसार का कार्य किया। 1975-76 में भूमि आवंटन, भूमिहीनों को पट्टा दिलवाने 1995 से 99 तक ग्राम्य विकास अभिकरण चमोली में मनोनीत सदस्य रहे। वर्ष 1975 में पपड़ियाणा गांव में श्रमदान से विद्यालय का निर्माण करवाया, अपने गांव पपड़ियाणा में महिलाओं के सहयोग से बांज के पेड़ों का सुंदर जंगल विकसित किया। 1970-71 के भू आंदोलन में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया। आप ने जंगल जमीन ही नहीं नशा मुक्त समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब वे हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके कार्य समाज के मन पटल पर अविस्मरणीय बने रहेंगे। जनपद चमोली के विभिन्न संगठन वैचारिक महासभा, सेवा स्तम्भ, अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन, शिल्पकार सभा, मूलनिवासी संघ, कर्मचारी कल्याण महासंघ, अंबेडकर छात्रावास, बामसेफ चमोली ने अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित की है।