लाठीचार्ज की घटना को गढ़वाल कमिश्नर की जांच में जायज ठहराये जाना निंदनीय वो चिंताजनक : इंद्रेश

 लाठीचार्ज की घटना को गढ़वाल कमिश्नर की जांच में जायज ठहराये जाना निंदनीय वो चिंताजनक : इंद्रेश

जनगणमन.लाईव
09 फरवरी को देहरादून में बेरोजगारों पर  लाठीचार्ज की घटना को गढ़वाल कमिश्नर की जांच में जायज ठहराये जाने को     भाकपा माले के केद्रीय कमेटी सदस्य इंद्रेश मैखुरी ने बेहद निंदनीय व चिंता जनक बताया  है.  उन्होंने कहा की  इस तरह की राय से यह स्पष्ट है कि यह किसी मजिस्ट्रेट की नहीं सरकार के दबाव में काम करने वाले एक अफसर की रिपोर्ट है, जो राजनीतिक नेतृत्व की नजरों में बने रहने के लिए युवाओं पर हुए बर्बर लाठीचार्ज को वाजिब ठहरा रहे हैं.

09 फरवरी के लाठीचार्ज से पहले जांच का विषय यह है कि 08 फरवरी की रात को गांधी पार्क के बाहर शांतिपूर्ण ढंग से बैठे हुए, उत्तराखंड बेरोजगार संघ के युवाओं को पुलिसिया ज़ोर से उठाने का आदेश, किस अधिकारी ने दिया. समाचार पत्रों में देहरादून की जिलाधिकारी ने ऐसा आदेश देने से इंकार किया था तो फिर यह आदेश किसने दिया ?
09 फरवरी को लाठीचार्ज की घटना तो शाम को हुई, लेकिन अगर यह कोई पूर्व नियोजित षड्यंत्र नहीं था तो देहरादून की एसपी सिटी, सीओ सिटी समेत तमाम पुलिस अधिकारी सुबह से ही मौके पर बिना नेमप्लेट के क्यूं थे ? 10 फरवरी को तो कोई अफसर बिना नेमप्लेट के नहीं था, जबकि विरोध-प्रदर्शन तो उस दिन भी हुआ ! जाहिर सी बात है कि 09 फरवरी को लाठीचार्ज करना, एक पूर्व नियोजित षड्यंत्र था.
उक्त लाठीचार्ज की कमिश्नर द्वारा की गयी जांच के परिणाम के संबंध में अपर मुख्य सचिव(गृह) द्वारा पुलिस महानिदेशक को लिखा गया पत्र हास्यास्पद और लाठीचार्ज के गलत होने की पुष्टि करता है. अगर लाठीचार्ज सही था तो फिर एलआईयू के निरीक्षक और पुलिस उपनिरीक्षकों को हटाने की संस्तुति क्यूं की गयी है ? लाठीचार्ज के लिए सिर्फ एक इंस्पेक्टर और कुछ सब इंस्पेक्टरों को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता ? इसके लिए सर्वाधिक कोई जिम्मेदार है तो वो हैं, देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जो निरंतर ही युवाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते रहे.
यह भी हास्यास्पद है कि पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज की जांच, पुलिस से ही करवाने का आदेश अपर मुख्य सचिव(गृह) के पत्र में किया गया है.
कोई भी लाठीचार्ज, बिना राजनीतिक नेतृत्व के इशारे के नहीं होता है. इसलिए 09 फरवरी को हुए लाठीचार्ज के लिए भी राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिम्मेदार हैं. भाजपा के ही दो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत उक्त लाठीचार्ज को गलत ठहरा चुके हैं. उसके बावजूद लाठीचार्ज को सही ठहरना हद दर्जे की राजनीतिक बेशर्मी है.
भर्ती परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले युवाओं के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र रचने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को माफी मांगनी चाहिए, उन्होंने मांग रखी की लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समेत तमाम पुलिस अफसरों को निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए. साथ ही भर्ती घोटालों की तत्काल सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए.

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