प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच स्थित ताल तोली में लाया गया मां दुर्गा का क्षूला पचपन साल बाद दोहराया गया इतिहास
तपोभूमि उत्तराखंड के कण कण में देवी देवताओं का वास है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उखीमठ ब्लाक के ग्रामसभा ल्वाणी के तालतोली के सुरम्य मैदान में स्थित स्वयंभू शिव लिंग है जिसके बारे में केदार खंड में वर्णन आता है की द्वापरयुग में ऊषामठ (उखीमठ ) में शोणितपुर के राजा बाणासुर व भगवान कृष्ण का पौत्र अनिरूद्ध के विवाह में शामिल होने के लिये इस स्थान तालतोली के उपर से गुजरे तो यहां की रमणिक प्राकृतिक सौन्दर्य छटा को देख कर देवी पार्वती ने कुछ देर विश्राम करने का अनुरोध भगवान शिव से किया भगवान शिव पार्वती के यहां विश्राम करने से स्वयं भू लिंग की उत्पत्ति हुयी।
साथ ही मां राजराजेश्वरी की चार बहनें सबसे बड़ी मां दुर्गा फेगू द्वितीय गुप्तकाशी नाला में ललिता माई तीसरी दुर्गा भवानी तालतोली तथा तीसरी सबसे छोटी तिनसोली के उपर कुमराई में आज भी विद्यमान है ।
इस रमणिक प्राकृतिक स्थल तालतोती में माता दुर्गा का मंदिर स्थित है। अनादि काल से ही मंदिर के प्रांगण में एक विशाल लकड़ी का क्षूला स्थापित है। अब से पचपन साल पहले स्वर्गीय विश्वनाथ बगवाड़ी की अध्यक्षता में क्षूला स्थापित किया गया था। पुनः पचपन साल बाद 125 युवाओं की टीम द्वारा इस क्षूले को स्थापित किया गया है।इस पूरे दल में 16 खच्चरों में राशन रसद के साथ हिन्दोला लेने गयी टीम तुलंगा गांव से दुर्गम 25 किलोमीटर की चढ़ाई पर मणगू गांव होते हुये केदारनाथ मार्ग के जंगल चट्टी से 35 फिट लम्बी थूनेर की लकड़ी को ले कर सफलता पूर्वक वापिस तालतोली पहुंचे
चैतीय नवरात्रि के अवसर पर तालतोली मे दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है उस मौके पर माता जी क्षूले पर बैठकर झूले का आनन्द लेती है व आठ ग्राम सभाओं के इस मेले में अब दूर दूर से भी लोग माता का दर्शन करने पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है की पर्यटन विभाग अगर इस सुंदर क्षेत्र पर ध्यान दें और सुविधाएं उपलब्ध करवाये तो बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं वो पर्यटक इस ओर आकर्षित होंगे जिससे क्षेत्र की आर्थिकी में भी बढ़ोतरी होगी । इस पूरे आयोजन में कलम सिंह राणा अध्यक्ष देवी प्रसाद बगवाड़ी कोषाध्यक्ष दौलत सिंह रावत मंत्री अन्य क्षेत्र वासी मौजूद रहे।