केदारनाथ क्षेत्रपाल भगवान भुकुंड भैरव के कपाट विधि विधान से हुते बंद
केदारनाथ के क्षेत्रपाल देवता भगवान भुकुंड भैरव के कपाट आज पूरे विधिविधान के साथ बंद कर दिये गये हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, देश में जहां-जहां भगवान शिव के सिद्ध मंदिर हैं, वहां-वहां कालभैरवजी के मंदिर भी हैं और इन मंदिरों के दर्शन किए बिना भगवान शिव के दर्शन करना अधूरा माना जाता है। चाहे काशी के बाबा विश्वनाथ हों या उज्जैन के बाबा महाकाल। दोनों ही स्थानों पर काल भैरव के मंदिर हैं और भक्त भगवान शिव के दर्शन के बाद इन दोनों स्थानों पर भी आकर सिर झुकाते हैं तब उनकी तीर्थ यात्रा पूर्ण मानी जाती है। ऐसे ही केदारनाथ में भी भुकुंट भैरव भैरवनाथ का मंदिर है। यहां भी हर साल केदारनाथ के कपाट खुलने से पहले भैरव मंदिर में पूजापाठ की जाती है। आइए जानते हैं भुकुंट भैरव के मंदिर के बारे मे
भुकुंट बाबा को केदारनाथ का पहला अर्चक माना जाता है। उन्हें यहां का क्षेत्रपाल माना जाता है। बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ भुकुंट बाबा की पूजा किए जाने का विधान है और उसके बाद विधिविधान से केदानाथ मंदिर में पूजा अर्चना होती हैं।
भुकुंट भैरव का यह मंदिर केदारनाथ मंदिर से आधा किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित है। यहां मूर्तियां बाबा भैरव की हैं जो बिना छत के एक चट्टान पर स्थापित की गई हैं। भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। यहां के तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, हर साल मंदिर के कपाट खोले जाने से पहले मंगलवार और शनिवार को भैरवनाथ की पूजा रोक काट कर विधिविधान से की जाती है।
परंपरा के अनुसार, भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम रवाना होने से पहले केदारपुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा का विधान है। मान्यता रही है कि भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान भैरवनाथ की पूजा के बाद भैरवनाथ केदारपुरी को प्रस्थान कर देते हैं। भगवान भैरव नाथ जी की शीत काल में पूजा अर्चना गुप्तकाशी के पास स्थित रूद्रपुर गांव में भी की जाती है और परम्परा अनुसार इस गांव के लोगों ही प्रथम भैरव पूजन करते हैं। पुराणों में भी बताया गया है कि बिना भैरों के दर्शन के यात्रा अधूरी मानी जाती है। सर्दियों में भुकंट भैरव ही केदारनाथ के मंदिर की रखवाली करते हैं। भैरवनाथ जी के कपाट बंद करने के अवसर पर केदारनाथ के मुख्य धर्माधिकारी आचार्य पंडित ओंकारनाथ शुक्ला केदारनाथ के रावल सहित पंकज शुक्ला सहित आचार्य नवीन शुक्ला , अमित शुक्ला, नर्वदेश्वर शुक्ला, विनीत चंद्र पोस्ती अरविंद शुक्ला ,तेज प्रकाश त्रिवेदी ,अंकुर शुक्ला, अशोक शुक्ला, मंदिर समिति के अधिकारी रमेश तिवारी आदी उपस्थित रहे
