देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जन्म दिवस तीन दिसंबर को अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अधिवक्ताओं का मानना है कि तारीख पर तारीख का सिलसिला खत्म होना चाहिए।
दशकों पुराने मामले
पिछले महीने लोकसभा को दिए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने सूचित किया था कि देश में 4.70 करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से 70,154 सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में हैं. 25 उच्च न्यायालयों में 58 लाख 94 हजार 60 मामले लंबित हैं जबकि निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 4,10,47,976 है.
वास्तव में भारत में लंबित पड़े लगभग तीन करोड़ मामलों के जल्द निष्पादन करने के लिए यहां अधिक से अधिक जजों की नियुक्ति की जानी चाहिए। साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173(2) में संशोधन किया जाना चाहिए जिसमें हर तरह के अपराध में पुलिस रिपोर्ट को जज के पास भेजने के लिए समय तय होना चाहिए। अभी देश में एडवर्सरीअल (विरोधात्मक) प्रणाली चल रही है। इसके तहत देश में किसी मुकदमे में जांच-पड़ताल करने के लिए और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक ही पुलिस है। इससे भ्रष्टाचार पनप रहा है। पुलिस पर एक साथ कई तरह के कामो का दबाव रहता है इस वजह से कई बार मुख्य बात को पुलिस रिपोर्ट में नहीं लिखती है। इस कारण अपराधी अपराध करके बच निकलते हैं।