विधान सभा बैक डोर भर्ती मामला सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका को निरस्त किया

 विधान सभा बैक डोर भर्ती मामला सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका को निरस्त किया

जनगणना.लाईव

उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट(Hearing on backdoor recruitment case in SC) ने हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा है . सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका को निरस्त कर दि या है. सभी बर्खास्त कर्मचारी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हुए थे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से 228 बर्खास्त कर्मचारियों को कोई राहत‌ नहीं मिली .
,वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा ‘मैं धन्यवाद करती हूं सर्वोच्च न्यायालय का जिन्होंने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर लिए गए मेरे फैसले को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय युवाओं के हित में है ‘.
दरअसल उत्तराखंड विधानसभा बैक डोर भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद भाजपा-कांग्रेस पर सवाल खड़े हो रहे थे. सवाल इस बात पर खड़े हो रहे थे कि आखिरकार बारी बारी से पूर्व विधानसभा अध्यक्षों ने अपने चहेतो को नियमों से बाहर जा पर रखकर विधानसभा में भर्ती करवाया. सबसे ज्यादा चर्चित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वर्तमान में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की 72 नियुक्तियां रही थी. उन्होंने खुद स्वीकारा की नियुक्तियां की गती और उन्हें ये भी दावा किया सब नियमानुसार हुआ है अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है तो नियमानुसार पर सवाल उठना लाजिमी है.इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही समय में जम कर बैंक डोर भर्ती हुयी‌ सवालों के दायरे में दोनों दल है
4 नवंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को सही माना है. पूर्व में एकलपीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के इस आदेश पर रोक लगा दी थी. विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को एकलपीठ द्वारा बहाल किए जाने के आदेश को चुनौती दिए जाने वाली विधानसभा द्वारा दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए विधानसभा द्वारा पारित आदेश को सही ठहराया है.

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