केदारनाथ में अपने भवन जमीन दुकान के स्वामित्व सहित चार सूत्रीय मांगों को ले कर चल रहे आंदोलन के तहत अब आंदोलनकारी क्रमिक अनशन पर बैठ गये है आंदोलनकारियों का कहना है कि केदारनाथ में अभूतपूर्व बंद के बावजूद भी जिला प्रशासन पूरे मसले को गंभीरता से नहीं ले रहा है जिसके कारण संदीप सेमवाल व कमल तिवारी आमरण अनशन पर बैठ गये है
आंदोलनरत लोगों की मुख्य मांग है कि केदारनाथ आपदा के समय पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुये भवनों व दुकानों को पुनः बना कर जो देने का वादा किया गया था वो आज तक पूरा नहीं हुआ है कुछ भवनों को बनाया गया है परन्तु मालिकाना हक नहीं मिलने से लोग भविष्य को ले कर आशंकित है । केदार सभा के अध्यक्ष पं राजकुमार तिवारी ने कहां की लगातार दस सालों से लोग उम्मीद लगायें बैठे थी उनको भवनों का मालिकाना हक मिलेगा परन्तु आज तक भी ना ही सरकार ना शासन ना प्रशासन कोई भी इस पर गंभीरता से बात तक करने को तैयार नहीं है ऐसी स्थिति में अब करो या मरो की स्थिति पैदा हो गयी है उन्होंने कहा की पिछले तीन दिन से आंदोलन जारी है केदारनाथ बाजार सम्पूर्ण बंद रहा अनशन हुआ लेकिन जिला प्रशासन उदासीन और बेपरवाह बना हुआ है जिससे मजबूर हो कर अब स्थानीय लोगों को आमरण अनशन जैसे कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
चार धाम तीर्थ पुरोहित संगठन के उपाध्यक्ष आचार्य संतोष त्रिवेदी ने कहा की केदारनाथ धाम के धार्मिक महत्व को समाप्त करने की कोशिश हो रही है केदारनाथ में जिन तीर्थ पुरोहितों ने पूजा पाठ और वेद मंत्रो का उच्चारण करना था आज उन्हें नारे लगाने पर मजबूर किया जा रहा है सदियों से तीर्थ पुरोहितों यहां देश विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों की पूजा पाठ और उनकी सुविधाओं को भी निभाते आ रहे हैं पर आज तीर्थ पुरोहितों को बेदखल कर आधुनिक के नाम पर मंदिर व केदारनाथ के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ की जा रही है परम्पराओं को खंडित कर पूरे केदारनाथ को कुछ चंद लोगों के हाथ में देने की साज़िश चल रही है
केदारसभा के मंत्री अंकित सेमवाल कहा लड़ाई लम्बी चलने वाली है हम अपनी जायज मांगों को ले कर आंदोलन करने को मजबूर हैं और सभी तीर्थ पुरोहित व स्थानीय लोग केदार नाथ धाम की गरिमा के अनुरूप आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से चला रहे हैं आंदोलन को समाप्त करने के कुचक्र भी रचे जा सकते हैं इससे भी हमें सावधान रहने की आवश्यकता है और हम अपनी मर्यादा के अनुरूप मांगे माने जाने तक आंदोलन जारी रखेंगे